सुखी हवा में बाहें फैलता है कैसा ये एहसास है अनछुआ सुखी हवा में बाहें फैलता है कैसा ये एहसास है अनछुआ
कुछ बेड़ियाँ निकल आएंगी वरना ना नुकुर करते करते...। कुछ बेड़ियाँ निकल आएंगी वरना ना नुकुर करते करते...।