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Saini Nileshkumar

Others

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Saini Nileshkumar

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एक अनछुआ एहसास

एक अनछुआ एहसास

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यह अनछुआ एहसास है कैसा

जो मेरे दिल को है भाता

बार बार दो राहों पे लाके रख देता है

ये रात में आँखों को ठलने नहीं देता

खुली आँख से सपने सजता है

बिना पंख के खुले आसमान में उडाता है

ये अनछुआ एहसास है

कैसा जो मेरे दिल को है भाता

सुखी हवा में बाहें फैलता है

कैसा ये एहसास है अनछुआ


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