वो पल
वो पल
जिंदगी में छाया था घना अँधेरा,
न सूझता था कोई किनारा।
नाउम्मीदी का था बसेरा,
खुशियों का न था ठिकाना।
जिंदगी जीना भूल चुके थे,
न कोई लगता था अपना सहारा।
हो गयी थी खत्म आस्था ईश्वर में,
मृत्यु लगने लगा था जिंदगी से प्यारा।
तभी एक जुगनू था जीवन में आया,
रोशनी की एक किरण लाया।
खत्म हो चुका था उत्साह जो,
उसको था उसने जगाया।
नये सिरे से जिंदगी को जीने का
जोश मन में भर लाया।
इस तरह जिंदगी बदली।
लम्हों में सोच बदली।
शुक्रिया उन पलों का
जिसने मेरे मन में हिम्मत जगाया।