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Prashant Mishra

Romance

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Prashant Mishra

Romance

वो मेरी मेहबूब नहीं वो मेरी..

वो मेरी मेहबूब नहीं वो मेरी..

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वो मेरी मेहबूब नहीं 

वो मेरी दोस्त है 


मैं उससे कुछ कहूं 

उससे पहले वो समझ जाती है 

जब मैं परेशान होता हूं 

ना जाने क्यूँ 

वो भी परेशान होती है. 

यू तो उसपे किसी और का हक है

लेकिन मेरे हक़ जताने पर, 

बड़े प्यार से याद दिलाती है 

वो मेरी मेहबूब नही 

वो मेरी दोस्त है...


जिस दर्द को छुपा कर रखा था 

जो इशारे समझ ना सका कभी जमाना 

उसपे वो मलहम भी लगा देती है 

यार, उसे मैं काफ़ी देर से पाया 

बस इस बात का अफ़सोस है 

वो मेरी मेहबूब नही

वो मेरी दोस्त है 


दिल उसका आईना सा साफ़ है 

बात में ही उसके मेरे हर जख्म का इलाज है 

यार अगर किसी को खो कर भी पाया उसे 

तो भी उससी ज्यादा कीमती है 

यार वो तो कोहिनूर है 

वो मेरी मेहबूब नही 

वो मेरी दोस्त है 



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