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Radha Shrotriya

Abstract

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Radha Shrotriya

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वो इक पल

वो इक पल

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गुज़रता ही नहीं वो इक पल

चाँद ख़ामोश है


गहरा नीला आकाश चुप है

तारों की चाल भी बदली बदली है! 


रात का रेशमी आंचल भी नहीं सुहाता

नीली नदी में सुनहरी मछली चुप है! 


तुम जब से गए हो

घड़ी की सुई पर ठहरा हुआ है 

गुज़रता ही नहीं वो इक पल !


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