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V. Aaradhyaa

Abstract Tragedy

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V. Aaradhyaa

Abstract Tragedy

वो हमें गलत समझकर रह गए

वो हमें गलत समझकर रह गए

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हमने कुछ कहा वो कुछ समझकर रह गए,

लोग हमें हमेशा गलत समझकर ही रह गए!


जो लड़ते रहे वो अगन की हदों में रह गये,

लोग तो आपसी जलन की हदों में रह गये !


सोच को छोड़ दें अंत में तो पाते भी क्या,

कुछ लोग तो बदन की हदों में ही रह गये !


कुछ लोग छा गये हैं महफ़िल में दिलों पर,

कुछ लोग अपनेआप की हदों में ही रह गये !


जुगनुओं के क़दम मिले हैं चाँद सितारों पर,

मगर इंसान अपनी खींची लकीरों में रह गये!


ख़ुशबू हवा के साथ तो शहर भर में घुल गयी,

और फूल तो बस चमन की हदों में ही रह गये!


आँखों ने जितना देखा उसे सच समझ लिया

हम भी अनदेखे मंज़र की हदों में ही रह गये!



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