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Aarti Pandey

Children

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Aarti Pandey

Children

वो बचपन भी कितना सुहाना था

वो बचपन भी कितना सुहाना था

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एक बचपन का जमाना था,

जिस में खुशियों का खजाना था..

चाहत चाँद को पाने की थी,

पर दिल तितली का दिवाना था।


खबर ना थी कुछ सुबहा की,

ना शाम का ठिकाना था

थक कर आना स्कूल से,

पर खेलने भी जाना था।


माँ की कहानी थी,

परियों का फसाना था

बारीश में कागज की नाव थी,

हर मौसम सुहाना था।

हर खेल में साथी थे,

हर रिश्ता निभाना 

क्या दिन थे वो ना कोई

रोने की वजह थी


ना हंसने का बहाना था

खूबसूरती के पल थे वो

खुशियों का खजाना था 

वह बचपन कितना सुहाना था।


दोस्ती भी थी यारी भी थी पर

मतलब का ना वो जमाना था

हस्ते थे हसाते भी थे पर

रोने का भी ना ठीकना था 


क्यों हो गए बड़े हम वो बचपन भी

कितना सुहाना था 

वो बचपन भी कितना सुहाना था।


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