वो 18 दिन
वो 18 दिन
युगों युगों की कहानी है
हर युग में पापियों की हानि है
कृष्णा की चाहत मे थी दुनिया
पर विधी के विधान के आगे किसी की ना सुनी
वो चाहते तो बदल देते जहाँ....
परन्तु,
कैसे होता संहार पापियों का यहाँ वहां... !!
शुरू हो गया जंग कुछ हासिल करने को
कुछ नर, घोड़े, और हाथी लड़ने को
विधि ने लिखा है अपने कोरे पन्ने पे,
युद्ध के अलग अलग नियम बुनने मे...
उदय होता सूर्य का
शुरू होता युद्ध कौरवो, पांडवो का
अस्त होता सूर्य का
ख़त्म होता युद्ध कौरवो, पांडवो का
किसी ने नियम भंग कर मारा अभिमन्यु को,
किसी ने ठाना बदला लेकर लड़ने को,
इस युद्ध से ना हुआ फायदा किसी माँ को,
हर पल माँ तो गिनती शवो को,
विधि ने भी जाना है...
सूर्य उदय होगे कितनी बार
विधि भी परिचित है
सूर्य अस्त होगे कितनी बार...
ये तो विधि का विधान है
वो 18 दिन
ये तो विधि द्वारा लिखा समाधान है
वो 18 दिन
ये तो योद्धाओं की आत्मदान है
वो 18 दिन.....