STORYMIRROR

snaya k

Tragedy

2  

snaya k

Tragedy

वक़्त

वक़्त

1 min
151

वक़्त कहता है कि जब मैं था तेरे पास

तूने मेरी कदर नहीं की

आज मैंने तुझे सबक सिखाने की ज़िद है की।

बहुत छाना तूने धरती का हर कोना


आज बैठ अकेला घर पर और सोच

तूने अब क्या है और खोना।

न छेड़ कुदरत को कहा था मैंने

यह छिड़ गई तो फिर कुछ नहीं छोड़ेंगी ।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy