वक़्त
वक़्त
वक़्त कहता है कि जब मैं था तेरे पास
तूने मेरी कदर नहीं की
आज मैंने तुझे सबक सिखाने की ज़िद है की।
बहुत छाना तूने धरती का हर कोना
आज बैठ अकेला घर पर और सोच
तूने अब क्या है और खोना।
न छेड़ कुदरत को कहा था मैंने
यह छिड़ गई तो फिर कुछ नहीं छोड़ेंगी ।