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Mukesh Modi

Abstract

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Mukesh Modi

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विषैला प्यार दुख का आधार

विषैला प्यार दुख का आधार

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आई जवानी लड़के लड़की में हुआ रक्त संचार

एक दूजे को देखकर हो जाता आपस में प्यार


मिलते मिलाते वक्त बिताते आपस में मुस्काते

मौके बेमौके बात बात में इक दूजे को छू जाते


छुअन बड़ी नशीली इसकी चाहत बढ़ती जाए

मिलना तो छोड़ो इनसे छुए बिना रहा ना जाए


इसी छुअन की अभिलाषा इतनी बढ़ती जाती

थोड़े ही समय में दोनों को वस्त्रहीन कर जाती


आज का युवा समझता केवल इसको ही प्यार

अज्ञानता के कारण इसे लुभाता काम विकार


यही छोटी सी नासमझी युवाओं को भटकाती

मन को अशुद्ध बनाकर अनैतिक कर्म करवाती


ऐसा मनो प्रदूषण ही करवाता इनसे बलात्कार

शोषण नारी के तन का सबसे बड़ा है अत्याचार


शारीरिक सुख को ना समझो प्यार का आधार

सुख नहीं मिलेगा इसमें ये है सिर्फ विषैला प्यार।



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