विजय
विजय
भारत के वीर जवानों गाथा सुनाता हूँ ,विजयी विश्व तिरंगे का अभिमान बताता हूँ ।।
सोलह दिसम्बर सन इकहत्तर का स्वर्णिम विजयी अध्याय गाता हूँ।।
जाने कितने ही बलिदानी भारत के वीर सपूतों कि जाबांजी का गौरव गाथा मैं गाता हूँ ।।
सन इकहत्तर भारत का शौर्य पराक्रम के महत्वपूर्ण काल प्रहर भवों को मैं दोहराता हूँ ।।
तानाशाह यहिया खां की दमन नीति शेख मुजीब रहमान का कारागार ।।
नियत मंसूबों की काली छाया अंधकार में रणचंडी की हुंकार
भारत कि गौरव का शंखनाद सुनाता हूँ ।।
अपनो के अति दुर्व्यवहार से दुखी शरणार्थी की व्यथा भाव का सत्यार्थ दर्पण मैं दिखता हूँ ।।
वीरों की गाथा मानवता की भाषा स्वर शब्द मैं सुनाता हूँ ।।
तीन दिसम्बर इकहत्तर नापाक इरादों की आक्रमकता का धूल धुसित का सत्य मैं सुनाता हूँ ।।
नीति नियत के खोटों के सम्मान समर्पण की व्यथा मैं बताता हूँ।।
पुरुषार्थ पराक्रम के भरत पथ विजय का विजय श्रेय शिखर विजय दिवस
शेख मुजीब के ख्वाबों का बंग देश का विश्व उदय सुनाता हूँ।।