विधना का लेख स्वीकार करें
विधना का लेख स्वीकार करें
प्रात : काल प्रभु स्मरण नित्य प्रति किया करें ।
मिला मानुष जीवन उसका आभार किया करें।
जीवन आधार हैं,जो उस प्रभु का गुणगान करें।
सरिता,फूल,फल सूरज तारे अन्न का मान करें।
लिखा जो मिला वो ही ,ना बेकार शिकवा करें।
भाग्य विधाता की लेखनी,लिखी स्वीकार करें।
कर्मपथ पर बढ़ते जाएं,प्रारब्ध समझ प्यार करें।
अपनी जिम्मेदारी समझे,जग का कल्याण करें।