उत्थान
उत्थान
आदर्शवाद का खोखला ढोल
पीटने वालों को मैं
सलाम करता हूँ
उनमें आज भी बड़ा दम है
यह अलग बात है
उनका यह दम
निपट कोरा और खोखला है
लेकिन उन्हें फिर भी
आम आदमी के झूठे आत्मविश्वास
और आडंबर पर इतना अटूट विश्वास है
कि वो इस आदर्शवादी नारे को
डंके की चोट पर सबको
बेबाक़ और बेफ़िक्र होकर
एक नए भविष्य के सुनहरे
स्वप्न के नाम पर परोशे जा रहे है
अख़बार झूठ बेचते है
न्यूज़ चैनल झूठे हो गए है
एक पीटा हुआ ढोल
गधे को सामने रखकर
जब तक बजाय जा रहे है
जब तक वो फटेहाल न हो जाये
आप मस्त रहिये मोबाइल पर
इंटरनेट पर फेसबुक व्हाट्सअप
ट्विटर और इंस्टाग्राम आदि पर
देश मे विकास अपने चरम पर है
नौजवानों को गुमराह कर
बेरोजगारी के गर्त में धकेल दिया गया है
और सभी बुद्धिजीवियों को
देशद्रोही बनाकर उन्हें देश निकाला
करने की योजना पर काम हो रहा है
अभिनेता का किरदार नेता कर रहे है
और नेता भगवान की जगह
स्वयं को परिभाषित कर रहे है
इस देश का उत्थान निश्चित है
जहां स्वाभिमान को ताक़ पर रखकर
अहंकार को पूजा जा रहा है.......
