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Shashi Roy

Classics

4.2  

Shashi Roy

Classics

उसे फिक्र है मेरी

उसे फिक्र है मेरी

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कहते है मुझसे अपने

मेरे साथ है जिनके सुनहरे सपने

ना कहा करो कुछ ऐसा,

कि हो जाए जमाने में बगावत जैसा


फिर रहकर खामोश

कुछ पल यूँ ही,

पूछती हूँ उनसे सवाल पहला पहला


रहते हैं चार दीवारों में

जिसे कहते है हम घरोंदा अपना

तो क्या ये घरोंदा नहीं आता उस जहान में

जिसे कहते है हम भारत हमारा।


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