पर अब मेरा घरोंदा है और कहीं नए दिनों की हैं यादें नयी अब क्या बातें करूँ मैं अपने अतीत से ? पर अब मेरा घरोंदा है और कहीं नए दिनों की हैं यादें नयी अब क्या बातें करूँ मै...
अब इस घरौंदे में एक शाम छोङे जाता हूँ, इन गलियारों के नाम एक सलाम छोङे जाता हूँ।। अब इस घरौंदे में एक शाम छोङे जाता हूँ, इन गलियारों के नाम एक सलाम छोङे जाता...
फ़लक से आ कर जो जर्रा जमीं पर गिरा, मई का महीना भी उसे जैसे दिसम्बर लगा। फ़लक से आ कर जो जर्रा जमीं पर गिरा, मई का महीना भी उसे जैसे दिसम्बर लगा।
मैने भी भरी उड़ान कुछ समय, पर ज्यादा दूर मैं उड़ ना पाई, अपनी बौनी उड़ान के संग, फिर धरा पर वापस ... मैने भी भरी उड़ान कुछ समय, पर ज्यादा दूर मैं उड़ ना पाई, अपनी बौनी उड़ान के सं...