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Bharat Jain

Others

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Bharat Jain

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अजनबी तेरा ये शहर लगा।

अजनबी तेरा ये शहर लगा।

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अच्छा लगा थोड़ा बुरा लगा थोड़ा डर लगा,

जब घर छोड़ा अजनबी तेरा ये शहर लगा।


कल तुम्हारे जाने का जो फिर वक़्त आया।

तो फिर से तन्हा मुझे ये मेरा मुकद्दर लगा।


उधर सूना आंगन है सूना पड़ा घरोंदा मेरा,

मेरी दास्तां सुन भीगा हुआ सा समुन्दर लगा।


फ़लक से आ कर जो जर्रा जमीं पर गिरा,

मई का महीना भी उसे जैसे दिसम्बर लगा।


माना कि बुनियाद इसकी थोड़ी कमज़ोर है,

हथेली पे जां लिये एक पत्ता भी शज़र लगा।


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