STORYMIRROR

Shipra Singh

Abstract

3  

Shipra Singh

Abstract

उम्मीद

उम्मीद

1 min
214

ये उम्मीद ही इंसान को इंसान से जोड़ती है,

उम्मीद से ज्यादा उम्मीद इस रिश्ते को भी तोड़ती है। 

किसी से उम्मीद उतना ही रखना, 

जितना तितली फूलों से रस चाहती है,

जितना पतंग आकाश में उड़ना चाहता है।

उम्मीद जब टूटती है तो कोई आवाज नहीं होती है,

उस उम्मीद में सिर्फ एक एहसास होता है।

दर्द, चुभन, आक्रोश, बदला,

क़शमक़श का मंथन भी वेग होता है। 

जनाब, इस उम्मीद से उतना ही उम्मीद रखिए,

कि उम्मीद टूटे तो कोई खास रिश्ता न छूटे। 

 



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract