उम्मीद
उम्मीद
अंधेर से गगन में इक रोशनी के उम्मीद की ही कमी थी,
हार मानने के सौ पन्ने थे और आस की एक ही लकीर थी।
पर फिर भी दिल कहता था,
हार के खाली पन्ने पर इक लकीर की शुरुवात ही जीत थी,
उम्मीद पर तो दुनिया कायम है पगले
इस पन्ने को हमारी ही तो राह थी।
