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Vidya Lakshmi G

Abstract

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Vidya Lakshmi G

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उम्मीद

उम्मीद

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जो मर कर भी अपनों के याद में ज़िंदा रहता है।

जो ज़िंदा होने के अलावा भी जीने का कारण बनता है।

जो कोख में ही जन्म लेता है और ज़िंदगी संवारता है।

जो तन्हाई में छाया और भीड़ में अपना बन जाता है। 

जीवन की डूबी हुई नाव को किनारे पहुँचाता है।

कभी कभार कुछ कड़वी दवा भी बन जाता है - 

पर छोड़कर कभी न जाए यही अरदास मेरी।

              



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