उड़ान
उड़ान
वक़्त दौर हो या हालात कोई वक़्फ़ जीत हो या मात कोई,
सर उठा तुम हमेशा चलना, दे न दे साथ कोई
कल तक तुमने कितने अत्याचार सहे,
अनगिनत आंसू उस चौखट पर बहे,
कहीं दहेज़ के लिए किसी ने गला घोंटा ।
किसी ने गर्भ में लड़की है ये सुन किया दिल छोटा ।
कहीं सड़को पर मर्यादा तार तार हुई
हर चौराहे पर इंसानियत शर्मशार हुई ।
फिर भी ए नारी ! तूने जीवन को संचार दिया ।
कभी माँ, कभी बहन तो कभी संगिनी बन रिश्तों को नया आधार दिया ।
लौटा न सकेगा ज़माना हाँ तुमने इतना प्यार दिया ।
वादा करते हैं हम तेरे परो को इक नया आसमान देंगे,
जी सके तू खुल के ऐसा भयमुक्त जहां देंगे ।
तेरे पंखो को इक नयी उड़ान देंगे ।
तेरे पंखो को इक नयी उड़ान देंगे ।।