उदासी भी खूबसूरत होती है
उदासी भी खूबसूरत होती है
अंबुधि लहरों के शोर में
असीम शांति की अनुभूति लिए ,
अपनी लालिमा के जोर से
अम्बर के साथ लाल सागर को लिए
विहगों के होड़ को
घर लौट जाने का संदेशा दिए,
दिन भर की भाग दौड़ कर
संध्या में थक जाने के लिये
तब, तट पर बैठे बैठे
इस दृश्य को देखते
नम आँखें लिए
हाथों को घुटनों से टेकते हुए
इस व्याकुल मन में एक विचार आया !
किंतु उस उलझन का परामर्श
आज तक नहीं पाया !
की जब एक दुल्हन रोती है
जब बिन बरखा दिन धूप खोती है
जब शाम अंधेरे में सोती है
तब, क्या उदासी खूबसूरत क्यो नहीं होती है
