वीकेंड...
वीकेंड...
फिर ये वीकेंड यूं ही गुज़र गया
कुछ काम जो काफी हफ्तों से
अधूरे थे
फिर अधूरे ही रह गए ..
कुछ शर्ट धोनी थी जिनकी
कॉलर कभी साफ नहीं होती है
कुछ मकड़ी के जले साफ करने थे
जो मुझे मकान मालिक ने घर के
साथ दिए थे
और हाँ, माँ से बात करनी थी
और कहना था ,
की कितना बिजी हूँ जो फ़ोन
लगाना भूल गया
और भी बहुत कुछ सोचा था
पर कुछ नहीं हुआ
और जो हुआ वो ये हुआ की ,
सैटरडे व्हिस्की के ग्लास में
घुल गया
और संडे हफ्ते भर से जो थोड़ी
थोड़ी नींद बचा रखी थी
उसे खर्च करने में गुज़र गया
और ये वीकेंड भी यूं ही गुजर गया