तू नारी है
तू नारी है
चहक उठे आंगन भी तुझसे
इस घर की तू किलकारी है ..
जगती तू सूरज से पहले
उज्जवल तुझसे चार दीवारी है ..
कभी स्वाद बन सज जाती थाली में
रसोई सजती तुझ से सारी है ..
प्रथम किरण सी सूर्य प्रकाश की
तू फैली जो उजियारी है..
तू नारी है ..तू नारी है ..
तू ईश्वर की रचना नारी है ..
तू मां बहन बेटी बनी
कभी बनी प्रियतम प्यारी है ..
तू बनी जननी हर रिश्ते की
हर रिश्तों पर पड़ती भारी है ..
खुद की सुध तू भूल गई
कंधे पर जिम्मेदारी है ..
हर रण तू ने जीत लिया
पर अपनों से जंग अभी तक जारी है ..
तू नारी है तू नारी है
तू ईश्वर की रचना नारी है..
कभी पत्थर सी कठोर बनी
कभी फूलों सी कोमल क्यारी है..
कभी जड़ चेतन सी शुन्या हुई
कभी चंचल चितवन धारी है..
खेल खिलाए तूने सबको
अब तेरे खिलने की पारी है..
सीच रही तू हर जीवन को
यह जीवन तेरा अभारी है..
तू नारी है तू नारी है
तू ईश्वर की रचना नारी है ..
सरस्वती की वीणा भी तू
तू काली की कटारी है ..
तू ही लक्ष्मी धन की माया
तू भैरव मर्दिनी अवतारी है ..
तू पानी सा रूप धरे क्यों?
जब तू जलती सी चिंगारी है..
हर रंग को तूने रंगा है खुद में
हर रूप में तू स्वीकारी है ..
तू नारी है तू नारी है
तू अद्भुत रचना नारी है…