तू माँ है
तू माँ है
तू माँ है - माँ से ज्यादा तेरी पहचान क्या लिखूं
तू गुरु है प्रथम - तेरा सुघर ज्ञान क्या लिखूं
तू माँ है - माँ से ज्यादा तेरी पहचान क्या लिखूं...
दवा - दुआ दोनों का असर तिल समान टीके में,
इससे जियादा वो " काला - निशान " क्या लिखूँ।
तू माँ है - माँ से ज्यादा तेरी पहचान क्या लिखूं...
खुद तुझसे है लिपटा - खुद तुझमें है सिमटा जो,
तू ही बता - अद्भुत तेरा ही " जहान " क्या लिखूं।
तू माँ है - माँ से ज्यादा तेरी पहचान क्या लिखूं...
विकल्प नहीं जिसका विज्ञान ओढ़े समूचे विश्व में,
तेरे ही वक्ष का......... वो सुधा पान क्या लिखूं।
तू माँ है - माँ से ज्यादा तेरी पहचान क्या लिखूं...
धरा सम धैर्य - आसमां सम आंचल तेरा,
तुझसे जनी जो ममता - उसी का बखान क्या लिखूं।
तू माँ है - माँ से ज्यादा तेरी पहचान क्या लिखूं...
प्राण से भी निष्प्राण हो खुद को जिंदा रख लेती तू,
सरहद से भारी ..........तेरा " बलिदान " क्या लिखूं।
तू माँ है - माँ से ज्यादा तेरी पहचान क्या लिखूं...
पाला हो जिसने फरिश्तों को भी उदर - व्योम में,
परवरिश की पराकाष्ठा में - महज इंसान क्या लिखूं।
तू माँ है - माँ से ज्यादा तेरी पहचान क्या लिखूं...
सुंदरतम् कृति हो कृत के कृत्य की भूलोक पर,
" साक्षात " से बड़ा - और शोभायमान क्या लिखूं।
तू माँ है - माँ से ज्यादा तेरी पहचान क्या लिखूं...
स्वर्ण - रजत - मोती माणिक से लदा हो तन तो क्या,
तेरा स्पर्श नहीं तो - किसी को धनवान क्या लिखूं।
तू माँ है - माँ से ज्यादा तेरी पहचान क्या लिखूं...
ताप या सर्द नाप लेती - हर दुःख दर्द भाप लेती,
तुझ सा हकीम .....और पहला निदान क्या लिखूँ।
तू माँ है - माँ से ज्यादा तेरी पहचान क्या लिखूं।
कवि छोटा - कलम छोटी - कलाम छोटा - तेरे आगे,
"सागर" के पास माँ है.. तो कोई और गुमान क्या लिखूँ।
तू माँ है - माँ से ज्यादा तेरी पहचान क्या लिखूं...