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RAMESH ' SAGAR ' रमेश ' सागर '

Inspirational

4  

RAMESH ' SAGAR ' रमेश ' सागर '

Inspirational

तू माँ है

तू माँ है

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तू माँ है - माँ से ज्यादा तेरी पहचान क्या लिखूं

तू गुरु है प्रथम - तेरा सुघर ज्ञान क्या लिखूं

तू माँ है - माँ से ज्यादा तेरी पहचान क्या लिखूं...


दवा - दुआ दोनों का असर तिल समान टीके में, 

इससे जियादा वो " काला - निशान " क्या लिखूँ।

तू माँ है - माँ से ज्यादा तेरी पहचान क्या लिखूं...

     

खुद तुझसे है लिपटा - खुद तुझमें है सिमटा जो,

तू ही बता - अद्भुत तेरा ही " जहान " क्या लिखूं।

तू माँ है - माँ से ज्यादा तेरी पहचान क्या लिखूं...

     

विकल्प नहीं जिसका विज्ञान ओढ़े समूचे विश्व में,

तेरे ही वक्ष का......... वो सुधा पान क्या लिखूं।    

तू माँ है - माँ से ज्यादा तेरी पहचान क्या लिखूं...


धरा सम धैर्य - आसमां सम आंचल तेरा, 

तुझसे जनी जो ममता - उसी का बखान क्या लिखूं।

तू माँ है - माँ से ज्यादा तेरी पहचान क्या लिखूं...


प्राण से भी निष्प्राण हो खुद को जिंदा रख लेती तू,

सरहद से भारी ..........तेरा " बलिदान " क्या लिखूं। 

तू माँ है - माँ से ज्यादा तेरी पहचान क्या लिखूं...

     

पाला हो जिसने फरिश्तों को भी उदर - व्योम में, 

परवरिश की पराकाष्ठा में - महज इंसान क्या लिखूं।

तू माँ है - माँ से ज्यादा तेरी पहचान क्या लिखूं...


सुंदरतम् कृति हो कृत के कृत्य की भूलोक पर,

" साक्षात " से बड़ा - और शोभायमान क्या लिखूं। 

तू माँ है - माँ से ज्यादा तेरी पहचान क्या लिखूं...

     

स्वर्ण - रजत - मोती माणिक से लदा हो तन तो क्या, 

तेरा स्पर्श नहीं तो - किसी को धनवान क्या लिखूं।

तू माँ है - माँ से ज्यादा तेरी पहचान क्या लिखूं...

         

ताप या सर्द नाप लेती - हर दुःख दर्द भाप लेती, 

तुझ सा हकीम .....और पहला निदान क्या लिखूँ। 

तू माँ है - माँ से ज्यादा तेरी पहचान क्या लिखूं।

     

कवि छोटा - कलम छोटी - कलाम छोटा - तेरे आगे,

"सागर" के पास माँ है.. तो कोई और गुमान क्या लिखूँ। 

 तू माँ है - माँ से ज्यादा तेरी पहचान क्या लिखूं...



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