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KUMAR अविनाश

Romance Inspirational

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KUMAR अविनाश

Romance Inspirational

तुमसे ही है उड़ान मेरी

तुमसे ही है उड़ान मेरी

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तुम क्या हो तुम नहीं जानते ,पर तुमसे पहचान मेरी।

तुम पतंग की डोर के जैसे तुमसे ही है उड़ान मेरी


अपने भीतर की कस्तूरी 

           मृग ढूंढ कहाँ पर पाया है,

पर उसकी खुशबु ने सारा

            घर जंगल महकाया है

पता नहीं पेड़ों को खुद

            है फलों का स्वाद क्या

पता नहीं चन्दन को खुद

           है खुशबु का राज कहाँ

छुपा है तुम में क्या

         बतला देगी निग़ाह मेरी


तुम क्या हो तुम नहीं जानते ,पर तुमसे पहचान मेरी।

 तुम पतंग की डोर के जैसे तुमसे ही है उड़ान मेरी


जीवन का उजाला है तुमसे,

             तुम ही हो मेरा जीवन

तुमसे जीवन में रोशनी

             तुमसे घर संसार मेरा

पर खुद के प्रकाश को

            दीप जान ना पाया है

खुद जलता रहता सदा

          जग ने प्रकाश को पाया है

मुझसे पूछो तुम क्या हो,

           तुम ही तो हो जान मेरी


तुम क्या हो तुम नहीं जानते ,पर तुमसे पहचान मेरी।

 तुम पतंग की डोर के जैसे तुमसे ही है उड़ान मेरी


दुख चाहे पहाड़ जैसे हो

         पर तुम राह बना सकते हो

आंसू हो आँखों में कितने

        पर तुम मुस्कुरा सकते हो

पर भीतर की शक्ति को

       कोई जान कहाँ पर पाया है

हमें पता है तुम क्या हो

       हम पर तुम्हारा साया है

बुरा समय भी डर जायेगा

        बात बाँध लो गांठ मेरी  


तुम क्या हो तुम नहीं जानते ,पर तुमसे पहचान मेरी।

 तुम पतंग की डोर के जैसे तुमसे ही है उड़ान मेरी


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