तुम्हें
तुम्हें
तुम्हें जाने कितनी बार जिया है मैंने,
अपनी साँसों में महसूस किया है मैंने।
कांपते होठों के अहसास को,
तुम्हारे प्यार के विश्वास को।
अपनी पलकों पर महसूस किया है मैंने,
तुम्हें जाने कितनी बार जिया है मैंने।।
तुम्हारे हाथों की नरमाई को,
तुम्हारी साँसों को गरमाई को।
अपने हाथो पर महसूस किया है मैंने,
तुम्हें जाने कितनी बार जिया है मैंने।
तुम्हारी आँखों में अपने लिए इंतज़ार को
तुम्हारे दिल में अपने लिए प्यार को।
अपने दिल में महसूस किया है मैंने,
तुम्हें जाने कितनी बार जिया है मैंने।
तुम्हारे प्यार से भरे दिल के समुन्द्र को,
तुम्हे, तुम्हारे वजूद को।
अपने साथ परछाई सा महसूस किया है मैंने,
तुम्हें जाने कितनी बार जिया है मैंने।
भर उठता है ये मन ख़ुशी से,
जब ये अहसास होता है कि तुम्हें।
अपनी हर धड़कन में महसूस किया है मैंने,
तुम्हें जाने कितनी बार जिया है मैंने।