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Naveen Kumar

Romance

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Naveen Kumar

Romance

तुम

तुम

1 min
204


मेरे ख्वाबों की दुनिया का, चमकता एक तारा तुम

 मन की प्यासी मरुभूमि, में अमृत की हो धारा तुम

 मेरी विनती तुम्ही से है, मेरी दुनिया मेरा जीवन

 नहीं कुछ बाकी मुझमे है, अगर कर लो किनारा तुम।


नहीं मैं खुद में रह पाऊँ , नहीं तुम तुम में रह पाओ

नहीं मैं कुछ भी कह पाऊँ , नहीं तुम कुछ भी कह पाओ

चलो सिमटे कहीं चल कर किसी फिर ऐसी दुनिया में

जहाँ जो तेरा मेरा हो, उसे कर दो हमारा तुम।


भटकता एक राही हूँ , तेरी मंजिल की राहों का

तरसता एक फरयादी, तेरी बाहों निगाहों का

यही इक शूल मन में है , कहीं ऐसा ना.. हो जाए

इधर आँखे मूंदे मेरी, उधर कर दो इशारा तुम।


जो यादो में समाये ना, उसे तो भूलना अच्छा

जो दिल को याद आये ना, उसे तो भूलना अच्छा

पर कैसे भुल सकते हो मेरी जाना.. वो हर लम्हा

वो पास आना वो शर्माना...गले लगना तुम्हारा तुम



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