तुम सब कर सकते हो
तुम सब कर सकते हो
तुम रसदार बन हर स्वाद रखना
बाँध हर मोह तुम कल्प वृक्ष से पतझर भी रहना
ये दुनिया भंग कर देगी तप तुम्हारी
त्यागी न बन तुम इस कलयुग के साथ ज़रा खुदगर्ज भी रहना
आयेंगे मौसम बारिशों के हजार छू कर कर जायेंगे ह्रदय गुलजार
मगर तुम रहना मरुस्थल से भी ज़रा बूंदो के खत्म होते ना हो जाना तुम भी कोई बिसरा याद
ये प्यास नहीं बुझ जाए पैसों से हर बार
तुम अजिंक्य बन रहना अपने पथ पे कुणाल
आते जाते रहेंगे लोग और सवाल
तुम सुनना बस अपने दिल की पुकार
रह जायेगा डिग्री शोहरत सिर्फ सांसो के साथ
तुम नव सृजन हो ढाल जाओ एक अलग जहान
कलरव करेंगे बिन पंख के कुछ जीव बहार
कान में रुई जड़ रखना तुम भी इस जग में कुणाल।