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हरि शंकर गोयल "श्री हरि"

Abstract Inspirational Others

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हरि शंकर गोयल "श्री हरि"

Abstract Inspirational Others

तुम दुनिया के सबसे अच्छे पापा

तुम दुनिया के सबसे अच्छे पापा

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कितने साल हो गए आपको 

इस दुनिया से रुखसत हुए 

मगर ऐसा लगता है कि आप 

यहीं हैं , यहीं कहीं पर हैं 


इस घर के कण-कण में हैं 

दरो दीवारों ,अहाता, प्रांगण में हैं

हम सबके मन रूपी दर्पण में हैं

निष्ठा, लगन, परिश्रम, समर्पण में हैं ।


आप खुद वट वृक्ष बनकर 

शीत, गर्मी, बरसात झेलते रहे

आंधी तूफानों, झंझावातों से 

हमारी पूरी रक्षा करते रहे 


अपना सारा जीवन आपने

हमें बनाने में लगा दिया

मेहनत की भट्टी में तपकर 

हमको 24 कैरेट सोना बना दिया


आज, हम जो भी कुछ बन सके हैं

वह आपके कर्मों का फल है 

आपके बिना यह जीवन हमें

लगता कभी कभी निष्फल है ।‌‌


ख्वाब देखना आपने सिखाया था

निडरता का पाठ आपने पढ़ाया था

साहस और धैर्य से रूबरू कराया था

परिश्रम के मीठे फल से मिलवाया था


वो कंधे पर बिठाकर मेला घुमाना 

मेले में तरह तरह की चीजें दिलवाना

चकरी वाले झूले में झूला झुलवाना

डर लगने पर सीने से चिपकाना 


कल्पनाओं के बड़े बड़े महल खड़े करना 

बादलों पे सवार होकर आसमां तक जाना

चांद सितारों को लाने का हौसला दिलाना

अपनी सोच के दायरे को विस्तार दिलाना


वक्त कैसे कैसे करवटें बदलता है

अंधेरे के बाद सूरज भी निकलता है 

असफलताओं में छुपी है सफलता 

हार-जीत, सुख-दुख का रहा है नाता 


आदमी काम से नहीं सोच से बड़ा होता है

इंसा वही है जो कभी भी धैर्य नहीं खोता है

अनवरत चलने का नाम ही है जिंदगी 

इस सिद्धांत पर चलने वाला ही सफल होता है


आप एक पूरे विश्वविद्यालय थे 

अनुभवों का अनोखा संग्रहालय थे 

मेरे फ्रेंड, फिलोस्फर , गाइड सब थे 

"प्रैक्टिकल ज्ञान" का पुस्तकालय थे 


तुम आज भी याद आते हो पापा 

मेरी सफलताओं पे इतराते हो पापा 

गलतियों पर आज भी डांट लगाते हो 

तुम दुनिया के सबसे अच्छे पापा हो, पापा 



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