कोई बहाना ना अब चलेगा ,
तुम बस आ जाओ ,
मेरा ठिकाना ना अब रहेगा ,
तुम बस आ जाओ |
राह तकते - तकते हुए ,
ये उम्र बीत गई ,
चंद साँसों की उम्मीद है ,
तुम बस आ जाओ |
बंद नैनों में थी तस्वीर ,
जो किसी को दिखती ना थी ,
खुले नैनों में ना सब देख लें ,
तुम बस आ जाओ |
सब समझते हैं कि कोई है ,
मगर वो कौन है भला ?
सबके सवालों को शांत करने ,
तुम बस आ जाओ |
चाहती हूँ मिलना अब ,
उम्र के इस पढ़ाव में ,
तेरी झलक पाने को हूँ बेताब ,
तुम बस आ जाओ |
साँसों को संभाल रखा है ,
तेरी साँसों में घुलने के लिए ,
ये उखड़ ना जायें वक़्त से पहले ,
तुम बस आ जाओ |
कोई बहाना ना अब चलेगा ,
तुम बस आ जाओ ,
मेरा ठिकाना ना अब रहेगा ,
तुम बस आ जाओ ||