STORYMIRROR

Satish Thakur

Romance

3  

Satish Thakur

Romance

तुम और मैं......

तुम और मैं......

1 min
203


तुम शब्द हो मैं अर्थ हूं।

तुम शब्द हो मैं अर्थ हूं।।

तुम बिन सदा मैं व्यर्थ हूँ।।

मैं साज तो तुम गान हो।

मेरा अमिट अभिमान हो।।

मेरे बसाये घर की तुम,

एक सर्वदा पहचान हो।।


जब दूर हो तो नरक है,

जब साथ तो हो स्वर्ग हो।

मैं हूँ सदा अपभ्रंश सा

तुम एक सती का दर्भ हो।

जब कोई पूछे घर मेरा चलता

कैसे अनवरत है,

तो तुम कहोगी की मेरी आस्था

और मैं कहूँ की तुम घर की

प्राण हो।


तू साज भी, तू काज भी 

तू ही समय, आगाज भी,

गर कोई सोचे आन में 

तो में कहूँ की तू मेरा नाज भी,

तेरा हर एक संताप हूँ,

तेरी सदा में गर्द हूँ।

तू है खुशी में मानता

तेरा सदा में दर्द हूँ।

तुम शब्द हो मैं अर्थ हूं।

तुम बिन सदा मैं व्यर्थ हूँ।।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance