तशरीफ़
तशरीफ़


वोह लाए तशरीफ़ हमारे गुज़ारिश पर
हम हुए तस्वीर अंजाम-ए-ख़्वाईश पर
तशरीफ़ आवरी से हरकत-ए-नज़र ज़माना
ख़ुशी थी बेबाक़ उनकी आज़माइश पर
तशरीफ़ रखते ही बहका जुनून-ए-ज़माना
साक़ी या जाम उलझे इसी गुंजाइश पर
आशियने में तशरीफ़ों का दौर बन गया
खुश थी क़िस्मत इस दिल-ए-आतिश पर
तशरीफ़-ए-अंजाम थी बाद-ए-सबा गवाह
आलम सरोकार थी उनकी ख़्वाहिश पर
हरकत-ए-जुनून पर नज़र-नजारा क़ुर्बान
हम तशरीफ़ हुए उनकी गुज़ारिश पर
ग़ज़ल तारीख़ बनी गूंज उठी मुशायरों में
अलग, वो तशरीफ़ रहे इसी ख्वाहिश पर।