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Manoj Joshi

Others

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Manoj Joshi

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बयां न कर पाया

बयां न कर पाया

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हम खुदहीको बयां करते रहे हालेदिल,

सुनने वालों का काफ़िला चला गया।

कुछ कहना था सबसे, मगर नसीब

हालत को लब्ज़ों में बयां न कर पाया।


दर्द ऐसा भी नहीं, ज़िन्दगी गुजर जाए,

पर गुज़ारे भी कैसे ये समझ न आया।

मतलब जिंदगी का समझे तो,

हमदम हमारा कोई ना मील पाया।


तनहा हुए हम मगर तनहाई,

हालेदिल क्या हैं यहीं जान न पाया।

पूछें भी किस को कैसे हैं हम,

हमें ही खुद को पेहचानना नहीं आया।


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