लब्जों से हर मौसम सुहाना, लब्जों से ही आतंक और प्रेम शायराना लब्जों से हर मौसम सुहाना, लब्जों से ही आतंक और प्रेम शायराना
'दर्द ऐसा भी नहीं, ज़िन्दगी गुजर जाए, पर गुज़ारे भी कैसे ये समझ न आया।" जिंदगी की कुछ उलजनो की सुंदर क... 'दर्द ऐसा भी नहीं, ज़िन्दगी गुजर जाए, पर गुज़ारे भी कैसे ये समझ न आया।" जिंदगी की ...
खो जाए जन्नत भी, प्यार के इस नजारे में सोचा की लिखूं दो लब्ज तेरे बारे में। खो जाए जन्नत भी, प्यार के इस नजारे में सोचा की लिखूं दो लब्ज तेरे बारे में।
बंद लब्ज़, ओठ सिले थे शायद बहुत दिनों बाद मिले थे कहा ले आयी हमें ये तनहाई कैसी ये अंजान जुदाई ... बंद लब्ज़, ओठ सिले थे शायद बहुत दिनों बाद मिले थे कहा ले आयी हमें ये तनहाई कै...
मेरी कविता को यूँ लब्जों में ना पढ़ा करो मंजिल तक यूँ आसानी से ना बढ़ा करो मेरी रचनाओं के जाम ... मेरी कविता को यूँ लब्जों में ना पढ़ा करो मंजिल तक यूँ आसानी से ना बढ़ा करो ...