STORYMIRROR

Kanchan Prabha

Others

3  

Kanchan Prabha

Others

एहसास से पढ़ो मेरे अल्फ़ाज

एहसास से पढ़ो मेरे अल्फ़ाज

1 min
335

मेरी कविता को यूँ लब्जों में ना पढ़ा करो 

मंजिल तक यूँ आसानी से ना बढ़ा करो 


मेरी रचनाओं के जाम के उन प्यासों को

तुम भी महसूस करो इक बार मेरे एहसासों को


मेरी कविता केवल स्याही से लिखी लकीर नहीं

दर दर भटकती हुई कोई फकीर नहीं


पढ़ना होठों से नहीं इस बात का ख्याल रखो

मेरी अक्षर पर दिल और नजर जलाल रखो


मेरी कविता को यूँ लब्जों में ना पढ़ा करो 

मंजिल तक यूँ आसानी से ना बढ़ा करो


Rate this content
Log in