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Hoshiar Singh Yadav Writer

Abstract

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Hoshiar Singh Yadav Writer

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तरबूज

तरबूज

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बीपी में बड़ा कारगर

कहलाता लाल तरबूज

जो इसको खाता उसमें

बढ़ जाती है सूझ बूझ।


देख देख मन ललचाए,

मुंह पानी से भर आता,

मीठा मुंह कर हो खुश,

जो तरबूज घर में लाता।


पानी की पूर्ति कर देता,

कर देता देता तरोताजा

बड़ा एक तरबूज लाकर

बजा दो मिलकर बाजा।


विवाह,शादी,पार्टियों में,

तरबूज एक फल होता ,

समस्त काम सफल होते,

जो इसको खा कर सोता।


छोटी सी एक बेल देखों,

इतना भारी फजल लगता,

हरी धारियां, काले बीज,

विभिन्न रंगों से सजता।


किस्मत वाले होते हैं जो,

तरबूज लाकर घर खाते हैं,

वरना तो इस जग में जन,

बस देखते ही रह जाते हैं।


बूढ़ों को जरूर खिलाओ,

मुंह यौवन सा खिल जाता,

घर में सुख समृद्धि होगी,

जो तरबूज घर में लाता।


सस्ती सी एक चीज होती,

आनंद बहुत ही दे जाती,

धन-दौलत अगर कमाना,

तो जरूर करो इनकी खेती।


वाह वाह वाह तरबूज खा,

तबियत होएगी खूब मलंग,

जमके खाओ तरबूज अब,

फिर चद्दर ओढ़ सो पलंग,


तरबूजे की बात निराली,

ठेलों पर दिनभर बिकता,

दूर बैठ वो तरबूज दिखाए,

होशियार सिंह ही लिखता।


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