तलाश
तलाश
अपनी तलाश में हम
दूर तक जा पहुँचे।
कोई नहीं था जहाँ
केवल एक शून्यमात्र।
सवाल थे बेमतलब के
सवाल थे बेबसी के
सवाल थे बेरुखी के
मगर हम सवालों के
दायरे को छू के निकले।
खुद को ढुँढने का
सोचा कभी न था।
जिस के लिए जन्म
लिया, उस बाततक पहुँचे।
आत्मक्लेश से निकलकर
आत्मउद्धार तक पहुँचे।
आज हम अपने
'मैं को त्यागकर निकले।