तीस दिवस
तीस दिवस
तीस दिवस हुए उसको
इस दुनिया से जाने के बाद।
हर पल हर क्षण आँसू
निकले याद आने के बाद।
किस्सा एक दिवस का
मैं बतलाती हूँ।
माँ होती मासी
ये समझाती हूँ।
चोट लगी थी मुझको
दर्द असहनीय था,
रो- रो कर हाल बुरा
मेरी मासी का था।
खुद को दोषी मान,
अपराधी सी मौन खड़ी थी वो।
कितना तड़पी
कितना रोयी थी वो।
माँ ने समझाया था उसको
ऐसी कोई बात नहीं,
तेरे दिल का टुकड़ा है वो
रखना अपने पास यहीं।
बाहों में भर कर कितना प्यार किया
रो रो कर अपना जी हलकान किया।
हैं ढेरों बातें उसकी मेरे दिल में
हैं ढेरों बातें उसकी मेरे दिल में।
धड़कन बढ़ जाती है याद आने के बाद,
हर पल, हर क्षण आँसू
निकले याद आने के बाद
तीस दिवस हुए उसको
इस दुनिया से जाने के बाद