तीन दिन
तीन दिन

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खुशी के वो तीन दिन,
ना जाने क्यों उदासियों मे डूब जाते हैं,
कुछ बीते पल कुछ बीती यादें
सभी खुशियों को फीका कर जाते हैं,
दिन की शुरुआत बहुत सी ख्वाहिशों से होती है,
मगर ये ख्वाहिशें मन के किसी
कोने में दफन हो जाती है,
इन सभी कशमकशों के बीच
आखिर ये शाम ढल जाती है।