तेरी उम्मीद
तेरी उम्मीद
क्यों हे दिल उन्हें पाने की तू
बेक़रार उम्मीद कर रहा है
क्यों बुझे हुए चराग़ से तू
रोशनी का इक़रार कर रहा है
सम्भल जा, वो तेरे पास
अब कभी भी लौटकर न आएंगे
क्यों तू इस जिस्म में उनका
रूह तक ऐतबार कर रहा है
तेरी जिंदगी मरुस्थल है,
मरुस्थल ही रहक़र गुजर जायेगी
क्यों तू वीराने में फ़िर से
बहार आने की उम्मीद कर रहा है।