तेरी तस्वीर
तेरी तस्वीर
ये क्या दीवानगी है मेरी कि
मचल जातीं हूँ तस्वीर ही देखकर तेरी।
तू क्या जाने तुझसे कितना प्यार करती हूँ मैं,
तुम्हारी तस्वीर से ही अपने दिल की
हर बात का इज़हार करतीं हूँ मैं।
भा गई हैं मुझे तुम्हारी नशीली आँखें,
तू आ न यहाँ क्योंकि मुश्किल हो रही है मुझसे
गुजारनी अब ये लम्बी रातें।
मेरे दिल को तू समझ ले थोड़ा,
चुपके-चुपके इसने तुझसे ही है रिश्ता जोड़ा।
तू मेरा हो नहीं पायेगा ये जानतीं हूँ मैं,
फिर भी जाने क्यों
तुम्हें ही अपना सब कुछ मानती हूँ मैं।
देखकर तस्वीर तुम्हारी दिल को
मेरे सुकून मिलता है,
मन मेरा मुस्कुराते हुये
फूलों की तरह खिलता है।
