तेरे दिल का हाल प्रिये
तेरे दिल का हाल प्रिये
जब तुम घर से निकलोगे
पर मुझको न पाओगे
जब बेचैन निगाहों से
गली का कोना छानोगे
जब तुम यूँ अकेले में
कोई उदास गीत गुनगुनाओगे,
जब तुम बात बात पर
घर पर मिलने आओगे,
पर मुझको न पाओगे
तब मैं पूछूँगा तुझसे तेरे दिल का हाल प्रिये ।
जब तुम अपनी किताबो पर
मेरा, लिखकर नाम मिटाओगे
जब उनमे दबा हुआ कहीं
एक मेरा ख़त पाओगे
जब तुम ख़त को पढ़ते पढ़ते
थोडा भावुक हो जाओगे,
जब तुम सहमे कदमो से
छुप-छुप कर छत पर जाओगे,
पर मुझको न पाओगे
तब मैं पूछूँगा तुझसे तेरे दिल का हाल प्रिये ।
जब तुम किसी ख़ुशी में
फीका सा मुस्काओगे
जब तुम रात में न खाने के
झूठे बहाने बनाओगे
जब तुम अपने सपनो में
बस मुझको ही पाओगे,
जब तुम सुबह से आस लगाओ
शायद आज दिख जाओगे,
पर मुझको न पाओगे
तब मैं पूछूँगा तुझसे तेरे दिल का हाल प्रिये ।
जब तुम सबके संग में
खुद को अकेला पाओगे
जब तुम बाते करते करते
दूर कहीं खो जाओगे
जब तुम घरवालो से अपनी
गीली आँख चुराओगे,
जब तुम किसी आवाज़ पर
मेरा आभास पाओगे,
पर मुझको न पाओगे
जब समझोगे तुम बिन कैसा था बेहाल प्रिये,
तब मैं पूछूँगा तुझसे तेरे दिल का हाल प्रिये ।