तेरे बिना पिया
तेरे बिना पिया


मेरी ये जिंदगी पिया तेरे बिना
हो गई एक अभागी सी जोगन है
दिन रात ये तेरा ही स्मरण करती है,
तू खोया कोई स्मृति वन है
हर रोज इसमें दरिया की लहरों से
ज़्यादा तूफान उठते रहते हैं,
ये मेरा मन तुझे याद कर हो गया है
एक टूटा हुआ सा कफ़न है
न जाने मेरे भोले पिया तू कब
अपनी इस साखी की ख़बर लेगा,
मेरा तो आजकल पूछ मत
सांस लेने से ही उजड़ गया मन है
मुझको इतना भी ज्यादा मत सता तू,
मेरे प्रियतम कान्हा जी,
सुध ले, ले मेरी नहीं तो मैं छोड़ दूंगी
ये माटी का बना ये तन है।