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Vijay Kumar parashar "साखी"

Inspirational

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Vijay Kumar parashar "साखी"

Inspirational

"स्वतंत्रता वेदी पर"

"स्वतंत्रता वेदी पर"

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स्वतंत्रता की वेदी पर शीश नवाने आये हैं

हम देशप्रेम में सबकुछ ही लुटाने आये हैं

अपने लहूं से धोएंगे,हम तो मां तेरे चरण

हम खून का कतरा-कतरा तुझे देने आये हैं


भारत कोई देश नही हैं ,यह हमारी मां हैं

माँ के लिये सर्व न्योछावर करने आये हैं

स्वतंत्रता की वेदी पर शीश नवाने आये हैं

भारत माँ के लिये हद से गुजरने आये हैं


कोई भी हमे रोके ना,कोई हमे टोके ना,

हिंद के लिये जींद समर्पित करने आये हैं

यह भारत की माटी,सुख-दुख की साथी

इस माटी को अपना रब बनाने आये हैं


बुरी नजर से देखे क्या सोचकर भी देखे

शत्रु घर मे सर्जिकल स्ट्राइक करने आये हैं

हम फौजी सरहद से शत्रु मिटाने आये हैं

स्वतंत्रता की वेदी पर शीश नवाने आये हैं


देश मे आजकल नफरतों का जोर हैं ,

सब नेता लगते जनता को बस चोर हैं ,

इस माहौल में सही नेता ढूंढने आये हैं  

सही वोट से,सही सरकार चुनने आये हैं


हर शख्स मौलिक कर्तव्य से अनजान हैं

हम शिक्षक तम संस्कार मिटाने आये हैं

स्वतंत्रता की वेदी पर शीश नवाने आये हैं

बन वैज्ञानिक,देश विकसित करने आये हैं


यह कोरोना महामारी,क्या जिंदगी हमारी

चिकित्सक बनकर कोरोना हराने आये हैं

वेक्सीनेशन द्वारा कोरोना मिटाने आये हैं

हम सब देश को हिम भाल करने आये हैं


हम किसान हैं ,उफरते भारत की शान हैं

देश आत्मनिर्भर करने का इरादे ले आये हैं

हम किसान देश का गौरव बनने आये हैं

हिंद को जन्नत की दुल्हन बनाने आये हैं


हर कौम में,हिन्द हैं ,सबके रोम-रोम में,

हर सब हिन्द को एवरेस्ट बनाने आये हैं

स्वतंत्रता की वेदी पर शीश नवाने आये हैं

भारत को हम सर्वोच्च भारत करने आये हैं.



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