"स्वीकारी कब दासता "
"स्वीकारी कब दासता "
स्वीकारी कब दासता, खूब हुए कुर्बान।
शीश कटाकर वह बने, नवम सिख गुरु महान।
नवम सिख गुरु महान,भंग करी जुल्म ज्यादती।
भंग करी जुल्म ज्यादती, बने ढाल मां भारती।
कहते हिन्द चादर , सनातन आन सुधारी।
धन्य तेग बहादुर , दासता ना स्वीकारी।