स्वदेस
स्वदेस
दिन रात करते वे संघर्ष
देख ना सके वह होती सुबह शाम गुलामी,
आज़ादी के मतवालों ने
खत्म करी बरसों चलती रात पुरानी।
यहां की मिट्टी भी कहती प्राण है स्वदेस
जो ह्रदय में अविचल रहती,
इसकी रक्षा धर्म मान कर
यह "भारत देश है मेरा" कहती।
शब्द कम पड़ जाए
ऐसा है स्वदेस के प्रति प्यार,
वतन के वीर जवानों को
इससे बढ़कर घर ना संसार।
सब को समा ले अपनी बाहों में
ऐसा पवित्र मन उनका,
सारे मिलकर एक हो जाते
ऐसा रंगीला देश हमारा।