Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer
Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer

कुमार अविनाश (मुसाफिर इस दुनिया का )

Abstract Tragedy

4  

कुमार अविनाश (मुसाफिर इस दुनिया का )

Abstract Tragedy

स्वाद मेरी वफा का

स्वाद मेरी वफा का

1 min
254


स्वाद मेरी वफा का तुमने चखा नहीं 

थोड़ा सा कडवा है पर बेवफा नहीं

ढूंढ लो मुझसे बेहतर शायद मिल जाएं कहीं 

पर मेरे जैसी वफा शायद वो भी करेगा नहीं 


मालिक मेहरबान हैं मुझ पर ये मैं जानता हूँ 

अपना सबकुछ बस एक खुदा को मानता हूँ 

कठिनाइयां आती है मेरी हिम्मत बढ़ाने के लिए 

मैं खुद को उलझा कर सुलझाना जानता हूँ 


जब जब होता हूँ मैं बेचैन और अकेला 

दूसरी दुनिया से जुडता है तार मेरा

दुनिया के लिए मैं जिद्दी पागल ही सही 

पर हृदय रखता साफ जानता है खुदा मेरा।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract