सूरत और सीरत!!
सूरत और सीरत!!
हमें तो मोहब्बत ही तुम्हारे सीरत से ही हुई थी,
तभी तो तमाम उम्र तुम्हारा इंतज़ार करते रहे!
कमबख्त तुम्हें मोहब्बत ए-इंतज़ार एतबार नहीं हुआ,
तुम तो सूरत में उलझ गए सीरत से प्यार नहीं हुआ!!
हमें तो मोहब्बत ही तुम्हारे सीरत से ही हुई थी,
तभी तो तमाम उम्र तुम्हारा इंतज़ार करते रहे!
कमबख्त तुम्हें मोहब्बत ए-इंतज़ार एतबार नहीं हुआ,
तुम तो सूरत में उलझ गए सीरत से प्यार नहीं हुआ!!