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Dharitri Mallick

Inspirational

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Dharitri Mallick

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सूरज भी जलता है

सूरज भी जलता है

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सूरज भी जलता है 

दीया भी जलता है

माचिस की तीली भी जलती है

मनुष्य का पेट भी जलता है ।।

किसके जलने से सब जलते हैं ???


ख़ुद जल के भी दूसरों को,

रौशनी दे जाता है ...

मगर सूरज निरंतर जलता रहता ही है

अंधियारा दूर तो करता ही है,

साथ साथ जीवन शक्ति देता है।।


सारे जीव जगत ब्रम्हांड को

गतिशील जो बनाता है

समय भी चले उन्हें देख कर

न वो कभी तुम्हारे पूजा की

अपेक्षा करता है

न ही तुम्हारा प्रशंसा की ..


चाहे तुम उसकी पूजा करो,

या निंदा करो

फिर चाहे गाली दो या पत्थर मारो

उसको न कोई परवाह है

न ही शिकायत है तुमसे

वो तो बस अपना धर्म के पथ पर

कर्तव्य के पथ पर है अग्रसर

अविराम, निरंतर, मौन होकर


तभी तो वो सत्य स्वरूप ही है

ईश भूमंडल का जिवन्त ईश्वर है

वो तो प्रत्येक्षय दृश्यमान है

फ़िर क्यों तुम न देख पा रहे हो ?

ईश्वर तो इन्ही आँखो से भी

दिख रहे हैं ।।

सूरज है तो जीवसत्ता जीवित है

जब वो प्रकाश देना ही बंद कर दें

तो ...तो क्या होगा? ये सोचो ..

फिर भी तुम बोलते हो ईश्वर है कहाँ ??

दिखा तेरे मेरे ईश्वर है कहाँ ??

आँखों से भी अंधे और

बुद्धि से भी अंधे हो गए हम।।



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