STORYMIRROR

Sudha Adesh

Inspirational

3  

Sudha Adesh

Inspirational

सुर से सुर मिलायें

सुर से सुर मिलायें

1 min
278


आओ नमन करें जिन्होंने संविधान बनाया था,

सर्व धर्म समभाव सिखाकर पाठ रहना सिखाया था।


गांधी नेहरू को हम भूल चुके,सुभाष भी अब याद नहीं,

मुँह में राम बग़ल में छुरी, यह तो हमारी संस्कृति नहीं।


गौतम बुद्ध , महावीर की कर्मस्थली में

गौडसे कभी आदर्श बन नहीं सकता।


छिप कर करे जो वार वह कायर है

स्वतंत्रता सेनानी है या जेहादी समझना होगा।


टुकड़ों -टुकड़ों में बँटकर कोई जी नहीं पाया

हम पंक्षी है एक डाल के, समझना होगा।


ख़ून चाहे हिंदू का बहे या मुसिलम सिख ईसाई का

जिस्म एक है, दर्द सबको होगा।


एक साथ एक समाज में रहकर भी

साथ न रह पाये, दोष हमारा होगा।


नारे भले लगा लें एकता के

स्वार्थ गर मन में , भला नहीं किसी का होगा।


टुकड़ों -टुकड़ों में बँटा मानव

न सिर्फ़ समाज का अपना भी अहित करेगा।


बैर भाव त्याग , शत्रु को भी गले लगायें,

सुर से सुर मिलायें, चलो आज नया भारत बनायें।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational